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सेवादार

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Sunday, 31 August 2014

शिर्डी साईं बाबा कष्ट निवारण मंत्र

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सदगुरू साईं नाथ महाराज की जय

कष्टों की काली छाया दुखदायी है, जीवन में घोर उदासी लायी है l
कट को तालो साईं दुहाई है, तेरे सिवा न कोई सहाई है l

मेरे मन तेरी मूरत समाई है, हर पल हर शन महिमा गायी है l

घर मेरे कष्टों की आंधी आई है,आपने क्यूँ मेरी सुध भुलाई है l
तुम भोले नाथ हो दया निधान हो,तुम हनुमान हो तुम बलवान हो l

तुम्ही राम और श्याम हो,सारे जग त में तुम सबसे महान हो l

तुम्ही महाकाली तुम्ही माँ शारदे,करता हूँ प्रार्थना भव से तार दे l

तुम्ही मोहमद हो गरीब नवाज़ हो,नानक की बानी में ईसा के साथ हो l

तुम्ही दिगम्बर तुम्ही कबीर हो,हो बुध तुम्ही और महावीर हो l

सारे जगत का तुम्ही आधार हो,निराकार भी और साकार हो l

करता हूँ वंदना प्रेम विशवास से,सुनो साईं अल्लाह के वास्ते l

अधरों पे मेरे नहीं मुस्कान है,घर मेरा बनने लगा शमशान है l

रहम नज़र करो उज्ढ़े वीरान पे,जिंदगी संवरेगी एक वरदान से l

पापों की धुप से तन लगा हारने,आपका यह दास लगा पुकारने l

आपने सदा ही लाज बचाई है,देर न हो जाये मन शंकाई है l

धीरे-धीरे धीरज ही खोता है,मन में बसा विशवास ही रोता है l

मेरी कल्पना साकार कर दो,सूनी जिंदगी में रंग भर दो l

ढोते-ढोते पापों का भार जिंदगी से,मैं गया हार जिंदगी से l

नाथ अवगुण अब तो बिसारो,कष्टों की लहर से आके उबारो l

करता हूँ पाप मैं पापों की खान हूँ,ज्ञानी तुम ज्ञानेश्वर मैं अज्ञान हूँ l

करता हूँ पग-पग पर पापों की भूल मैं,तार दो जीवन ये चरणों की धूल से l

तुमने ऊजरा हुआ घर बसाया,पानी से दीपक भी तुमने जलाया l

तुमने ही शिरडी को धाम बनाया,छोटे से गाँव में स्वर्ग सजाया l

कष्ट पाप श्राप उतारो,प्रेम दया दृष्टि से निहारो l

आपका दास हूँ ऐसे न टालिए,गिरने लगा हूँ साईं संभालिये l

साईजी बालक मैं अनाथ हूँ,तेरे भरोसे रहता दिन रात हूँ l

जैसा भी हूँ , हूँ तो आपका,कीजे निवारण मेरे संताप का l

तू है सवेरा और मैं रात हूँ,मेल नहीं कोई फिर भी साथ हूँ l

साईं मुझसे मुख न मोड़ो,बीच मझधार अकेला न छोड़ो l

आपके चरणों में बसे प्राण है,तेरे वचन मेरे गुरु समान है l

आपकी राहों पे चलता दास है,ख़ुशी नहीं कोई जीवन उदास है l

आंसू की धारा में डूबता किनारा,जिंदगी में दर्द , नहीं गुज़ारा l

लगाया चमन तो फूल खिलायो,फूल खिले है तो खुशबू भी लायो l

कर दो इशारा तो बात बन जाये,जो किस्मत में नहीं वो मिल जाये l

बीता ज़माना यह गाके फ़साना,सरहदे ज़िन्दगी मौत तराना l

देर तो हो गयी है अंधेर ना हो,फ़िक्र मिले लकिन फरेब ना हो l

देके टालो या दामन बचा लो,हिलने लगी रहनुमाई संभालो l

तेरे दम पे अल्लाह की शान है,सूफी संतो का ये बयान है l

गरीबों की झोली में भर दो खजाना,ज़माने के वली करो ना बहाना l

दर के भिखारी है मोहताज है हम,शंहंशाये आलम करो कुछ करम l

तेरे खजाने में अल्लाह की रहमत,तुम सदगुरू साईं हो समरथ l

आये हो धरती पे देने सहारा,करने लगे क्यूँ हमसे किनारा l

जब तक ये ब्रह्मांड रहेगा,साईं तेरा नाम रहेगा l

चाँद सितारे तुम्हे पुकारेंगे,जन्मोजनम हम रास्ता निहारेंगे l

आत्मा बदलेगी चोले हज़ार,हम मिलते रहेंगे बारम्बार l

आपके कदमो में बैठे रहेंगे,दुखड़े दिल के कहते रहेंगे l

आपकी मर्जी है दो या ना दो,हम तो कहेंगे दामन ही भर दो l

तुम हो दाता हम है भिखारी,सुनते नहीं क्यूँ अर्ज़ हमारी l

अच्छा चलो एक बात बता दो,क्या नहीं तुम्हारे पास बता दो l

जो नहीं देना है इनकार कर दो,ख़तम ये आपस की तकरार कर दो l

लौट के खाली चला जायूँगा,फिर भी गुण तेरे गायूँगा l

जब तक काया है तब तक माया है,इसी में दुखो का मूल समाया है l

सबकुछ जान के अनजान हूँ मैं,अल्लाह की तू शान तेरी शान हूँ मैं l

तेरा करम सदा सब पे रहेगा,ये चक्र युग-युग चलता रहेगा l

जो प्राणी गायेगा साईं तेरा नाम,उसको मुक्ति मिले पहुंचे परम धाम l

ये मंत्र जो प्राणी नित दिन गायेंगे,राहू , केतु , शनि निकट ना आयेंगे l

टाल जायेंगे संकट सारे,घर में वास करें सुख सारे l

जो श्रधा से करेगा पठन,उस पर देव सभी हो प्रस्सन l

रोग समूल नष्ट हो जायेंगे,कष्ट निवारण मंत्र जो गायेंगे l

चिंता हरेगा निवारण जाप,पल में दूर हो सब पाप l

जो ये पुस्तक नित दिन बांचे,श्री लक्ष्मीजी घर उसके सदा विराजे l

ज्ञान , बुधि प्राणी वो पायेगा,कष्ट निवारण मंत्र जो धयायेगा l

ये मंत्र भक्तों कमाल करेगा,आई जो अनहोनी तो टाल देगा l

भूत-प्रेत भी रहेंगे दूर ,इस मंत्र में साईं शक्ति भरपूर l

जपते रहे जो मंत्र अगर,जादू-टोना भी हो बेअसर l

इस मंत्र में सब गुण समाये,ना हो भरोसा तो आजमाए l

ये मंत्र साईं वचन ही जानो,सवयं अमल कर सत्य पहचानो l

संशय ना लाना विशवास जगाना,ये मंत्र सुखों का है खज़ाना l

इस पुस्तक में साईं का वास,जय साईं श्री साईं जय जय साईं l
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om shree saiyaa ji to all

नहीं मांगता शजर-ए- अमीरी या खुदा,
मिलती रहे सबको रोटी ,ये दुआ मांगता हूँ!

गैरों की खुशहाली से न हो जलन,
दिल में बस सब्र -ए- अरमां मांगता हूँ !!

निकले न लब से बद्दुआ किसी के खातिर,
इरादे नेक और मुकम्मल इमां मांगता हूँ !!

उजड़े न चैन - ओ- अमन किसी का और,
तेरे ख्वाबों का खुशनुमा जहाँ मांगता हूँ !!

बँट गयी है दुनिया मजहबों में बहुत,
ऐ खुदा इंसानियत का एक कारवां मांगता हूँ !!

नहीं होते इंसान बुरे , हालात बना देते हैं,
ऐसे बुरे हालातों का न होना मांगता हूँ !!

Saturday, 30 August 2014

: ॐ साई राम

साईं भक्ति ने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया...
मेरी मायूस और खामोश दुनिया को हँसा दिया...
क़र्ज़दार हूँ मैं अपने साईं का,
 जिसने मुझे आप जैसे साईं भक्तों से मिला दिया...!!: 

ॐ साई राम

Thursday, 28 August 2014

sai sai baba saii



खुदा की बनाई कुदरत
नहीं देखी दिलो में छुपी दौलत
नहीं देखी जो कहते है कि भगवान
नहीं है इस दुनिया में शायद उन्हों ने
अभी तक शिर्डी की चौकठ
नहीं देखी.. 
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sai sai sai

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 ॐ साईं राम 
 गर्व से कहो हम बाबा वाले हैं 

खिलखिलाती ज़िन्दगी होनी चाहिए...
बातों मे रवानी होनी चाहिए...
सारी दुनिया अपनी हो जाती है...
बस मेरे "साईं" की मेहरबानी होनी चाहिए..

Wednesday, 27 August 2014

sai sai oom

मुझे "साईं" का संदेसा कुछ ऐसे मिला रे
कल सपने में बाबा का फूल खिला रे !!
सपने में बाबा शिर्डी बुलाये रे...सपने में "साईं" शिर्डी बुलाये रे !!
बाबा ने बुलाया मै तो शिर्डी चला रे "साईं" ने बुलाया मै तो शिर्डी चला रे !!
💕Love You Saiya💕
Om Sai Ram Ji To All....

Tuesday, 26 August 2014

sai sai oom

कोई सोना चढाए , कोई चाँदी चढाए ;
कोई हीरा चढाए , कोई मोती चढाए ;
चढाऊँ क्या तुझे भगवन ; कि ये निर्धन का डेरा है ;
अगर मैं फूल चढाता हूँ , तो वो भँवरे का झूठा है ;
अगर मैं फल चढाता हूँ , तो वो पक्षी का झूठा है ;
अगर मैं जल चढाता हूँ , तो वो मछली का झूठा है ;
अगर मैं दूध चढाता हूँ , तो वो बछडे का झूठा है ;
चढाऊँ क्या तुझे भगवन ; कि ये निर्धन का डेरा है ;
अगर मैं सोना चढ़ाता हूँ , तो वो माटी का झूठा है ;
अगर मैं हीरा चढ़ाता हूँ , तो वो कोयले का झूठा है ;
अगर मैं मोती चढाता हूँ , तो वो सीपो का झूठा है ;
अगर मैं चंदन चढाता हूँ , तो वो सर्पो का झूठा है ;
चढाऊँ क्या तुझे भगवन, कि ये निर्धन का डेरा है ;
अगर मैं तन चढाता हूँ , तो वो पत्नी का झूठा है ;
अगर मैं मन चढाता हूँ , तो वो ममता का झूठा है ;
अगर मैं धन चढाता हूँ , तो वो पापो का झूठा है ;
अगर मैं धर्म चढाता हूँ , तो वो कर्मों का झूठा है ;
चढाऊँ क्या तुझे भगवन , कि ये निर्धन का डेरा है ;
तुझे परमात्मा जानू , तू ही तो है - मेरा दर्पण ;
तुझे मैं आत्मा जानू , करूँ मैं आत्मा अर्पण ;

जय हो।


Monday, 25 August 2014

om shree saiyaa ji to all

जाग जाग मन जाग बांवरे ,
उठ भी जा अब छोड़ बांवरे~
देख ज़रा तूं देख ज़रा ,
नई सुबह अब आई है~
सतगुरु ने आ तेरे द्वारे ,
नाम की अलख जगाई है~
तेरे इस अँधेरे घर में ,
 साईं ने ज्योति जगाई है~
तूं कितना बडभागी रे ,
 स्वयं साईं ने कृपा बरसाई है~
नाम,आशीर्वाद जो पाया तुने ,
 तेरी श्री साईं ने किस्मत जगाई है!!!
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Saturday, 23 August 2014

sai sai oom

बुलेशाह कहते हैं...चढ़दे सूरज ढलदे देखे... बुझदे दीवे बलदे देखे. हीरे दा कोइ मुल ना जाणे.. खोटे सिक्के चलदे देखे. जिना दा न जग ते कोई, ओ वी पुतर पलदे देखे।. उसदी रहमत दे नाल बंदे पाणी उत्ते चलदे देखे।. लोकी कैंदे दाल नइ गलदी, मैं ते पथर गलदे देखे।. जिन्हा ने कदर ना कीती रब दी, हथ खाली ओ मलदे देखे ....कई पैरां तो नंगे फिरदे, सिर ते लभदे छावा, मैनु दाता सब कुछ दित्ता, क्यों ना शुकर मनावा l


Thursday, 21 August 2014

om shree saiyaa ji to all


होके शर्मिंदा गुनाहों से
उसके दर पे जा तो सही
वो करेगा माफ़ तू अश्क बहा तो सही
वो जो साईं है सुनता है सबकी दुआ ...
उसके सजदे में तू सर को झुका तो सही
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Sunday, 10 August 2014

sai sai shree saii

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      ~: दसवें गुरू 
    श्री गुरू गोविंद सिंह
  द्वारा दिये गये 52 हुक्म :~

1. धर्म की कमाई करनी। 

2. दसवँत देना (कमाई का दसवाँ भाग दान-पुन्य में देना)। 

3. गुरबाणी याद करनी। 

4. अमृत समय (ब्रहम समय) में जागना। 

5. प्यार से गुरूसिक्खों की सेवा करनी। 

6. गुरूखिक्खों से गुरबाणी के अर्थ समझने। 

7. पाँच कँकारों की पक्की रहित रखनी। 

8. शब्द कीर्तन (गुरबाणी) का अभ्यास करना। 

9. ध्यान सत-स्वरूप सतिगुरू का करना। 

10. सतिगुरू श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी को मानना। 

11. सभी कार्यों के आरम्भ के समय अरदास करनी। 

12. जन्म, मरन, विवाह, आनन्द आदि के समय श्री जपुजी साहिब जी का पाठ करके कढ़ाह प्रसाद तैयार करके श्री अनंद साहिब जी का पाठ, अरदास करके पाँच प्यारों और हजूरी ग्रन्थी सिंघों आदि को वरताने के बाद संगत को देना। 

13. जब तब कढ़ाह प्रसाद बँट रहा हो, तब तक सारी संगत अडोल बैठी रहे। 

14. विवाह किये बिना किसी प्रकार का शारीरिक संबंध नहीं रखना। 

15. पर नारी को माँ, बहिन, बेटी की तरह मानना। 

16. किसी स्त्री को गाली नहीं देना। 

17. जगत झूठः तम्बाकू और मीट नहीं खाना। 

18. रहितवान और नाम जपने वाले गुरूसिक्खों की संगत करनी। 

19. जितने काम अपने स्वयं के करने वाले हों, उनके प्रति आलस नहीं करना। 

20. गुरबाणी का कीर्तन और कथा रोज सुनना और करना। 

21. किसी की निन्दा चुगली नहीं करनी, किसी से घृणा नहीं करनी। 

22. धन, जवानी कुल और जात का अभिमान नहीं करना। 

23. अपनी मत ऊँची से ऊँची रखनी। 

24. शुभ करम करते रहना। 

25. दिमाग और बल का दाता केवल वाहिगुरू (ईश्वर, परमात्मा) जी को ही जानना। 

26. कसम खाने वाले पर ऐतबार नहीं करना। 

27. स्वतँत्र रहना। 

28. राजनिति भी पढ़ना, जानकारी रखना।

29. शत्रु के साथ साम, दाम और भेद आदि उपाय अपनाने के बाद यु़द्ध करना धर्म है। 

30. शस्त्र विद्या और घुड़-सवारी का अभ्यास करना। 

31. दूसरे मतों की पुस्तकें, विद्या पढ़नी लेकिन पक्का विश्वास केवल गुरबाणी और परमात्मा (वाहिगुरू) जी पर ही रखना। 

32. गुरू का उपदेश धारण करना। 

33. श्री रहिरास साहिब जी का पाठ करके खड़े होकर अरदास करनी। 

34. सोते समय श्री र्कीतन सोहिले साहिब जी का पाठ करना। 

35. बालों को नँगा नहीं रखना। 

36. सिक्खों, सिंघों का पूरा नाम लेकर बुलाना, आधा नहीं। 

37. शराब नहीं पीनी। 

38. बाल कटें लोगों के यहाँ कन्या नहीं देनी, कन्या उस घर में देनी जहां पर परमात्मा (अकाल पुरूख) की सिक्खी हो। 

39. सभी काम, श्री गुरू ग्रन्थ साहिब की आज्ञा और गुरबाणी अनुसार की करने हैं। 

40. चुगली करके किसी का काम नहीं बिगाड़ना। 

41. कड़वे वचन बोलकर किसी का दिल नहीं दुखाना। 

42. दर्शन यात्रा, गुरूद्वारों की ही करनी। 

43. किसी को वचन देकर उसे पूरा करना।

44. अतिथी, परदेसी, जरूरतमँद, दुखी, अपँग की यथासम्भव सहायता करनी। 

45. लड़की की कमाई को पाप मानना। 

46. दिखावे का सिक्ख नहीं बनना। 

47. सिक्खी बालों के साथ निभानी। बालों को गुरू समान जानकर अदब करना। 

48. चोरी नहीं करना, चोरी में शामिल भी नहीं होना, ठगी, धोखा, दगा नहीं करना। 

49. गुरूसिक्ख का विश्वास करना। 

50. झूठी गवाही नहीं देनी। 
   
51. झूठ नहीं बोलना। 

52. लंगर और प्रसाद सभी तरफ एक जैसा बाँटना।

~★★[वाहेगुरू जी]★★~
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Thursday, 7 August 2014

om shree saiyaa ji

साईं नाम का सुमिरन करले साईं सबका दाता है साईं नाम साईं नाम जपले रे बन्दे साईं भाग्य विधाता है !
साईं नाम साईं नाम साईं नाम साईं नाम !!
तन्हा बैठ के रोता है क्यों ले साईं का नाम रे बन्दे ले साईं का नाम !
दर दर तू क्यों भटक रहा है साईं का दामन थाम "हरीश" साईं का दामन थाम !!
विपदा उसकी टल जाती है साईं दर जो आता है साईं नाम साईं नाम जपले रे बन्दे साईं भाग्य विधाता है !
साईं नाम साईं नाम साईं नाम साईं नाम !!
साईं वार की आप सबको हार्दिक शुभ कामनाए !!
💕Love You Saiya💕
A Very Sweet Sai Morning To All N May Mere Sai Always Bless Us All...
Om Sai Ram Ji To All...

Monday, 4 August 2014

om shree saiyaa ji



ॐ श्री साई राम 

हर आरजू हमेशा अधूरी नही होती।
भगवान और भक्त के बीच दूरी नही होती।
मिल जाये जिसे साईं का प्यार ।
उसे फिर किसी और की जरूरत नही होती