ज़मान अगर छोड़ दे बेसहारा मुझे फ़िक्र क्या मेरे बाबा को है
हर इक जन अगर कर भी लेगा किनारा मुझे फ़िक्र क्या मेरे बाबा को है
ज़माना अग़र छोड़ दे बेसहारा……………
मेरी आह सुनकर मेरा दर्द सुनकर मदद को कोई और आए न आए
वो आए हमेशा उन्हें जब पुकारा, मुझे फ़िक्र क्या मेरे बाबा को है
ज़माना अगर……………
कभी सुख के दिन और कभी दुख की रातें सांई तुममें विश्वास बढ़ता रहा है
हर इक हाल में दिल रहा है तुम्हारा
मुझे फ़िक्र क्या मेरे बाबा को है
ज़माना अगर छोड़ दे ………………
करूँ मैं तेरा शुक्रिया किस ज़ुबां से मैं हर पल रहा तेरी मर्ज़ी का बन्दा
कहां से गिराया कहां से उभारा मुझे फ़िक्र क्या मेरे बाबा को है
ज़माना अगर छोड़ दे बे सहारा,मुझे फ़िक्र क्या मेरे बाबा को है