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सेवादार

सेवादार

Tuesday, 24 September 2013

alla malik


सपने में साँई दिखे
चावल दे बिखरायें
मेघा से फिर यूँ कहे
मुझ्को त्रिशुल लगायें

मेघा चौंका नींद से
कोई नही दिखाये
यहाँ वहाँ बिखरे हुये
चावल ही वह पायें

फिर दौड़ा मस्जिद गया
सपना दिया बतायें
साँई से आज्ञा माँगे
देऊँ त्रिशुल लगायें

आज्ञा मैनें दी तुझे
बात सत्य ही होये
शब्द हमारे अर्थमय
थोथे कभी ना होये

मेघा फिर कहने लगा
दरवाजे थे बन्द

साँई कैसे आ गये
मेरे मन के द्वन्द 

साँई जी ने यह कहा
मैं हूँ ऐसा संत
मेरा ना कोई आदि है
और ना कोई अंत

ॐ साँई राम जी
श्री साँई बाबा जी के चरण कमलों में हमारी अरदास है
कि बाबा जी अपनी कृपा दृष्टी आप सभी पर निरंतर बरसाते रहे