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सेवादार

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Monday, 30 September 2013

baba's sehj aarti




1.ओंवाळूं आरती माइया सदगुरुनाथा


ओंवाळूं आरती माइया सदगुरुनाथा, माइया साईनाथा ।।
पांचाही तत्वांचा दीप लाविला आतां ।।

निर्गुणाची स्थिति कैसी आकारा आली । बाबा आकारा आली ।
सर्वा घटीं भरुनि उरली सांई माउली ।। ओंवाळूं 0 ।।

रज तम सत्व तिघे माया प्रसवली । बाबा माया प्रसवली ।
मायेचिये पोटीं कैसी माया उद्घवली ।। ओंवाळूं 0 ।।

सातसागरी कैसा खेळ मांडीला । बाबा खेळ मांडीला ।
खेळूनियां खेळ अवघा विस्तार केला ।। ओंवालूं 0 ।।

ब्रहांडींची रचना दाखविली डोळां । बाबा दाखविली डोळां ।
तुका म्हणे माझा स्वामी कृपाळू भोळा ।। ओंवाळू 0।।


2. आरती ज्ञानरायाची
आरती ज्ञानरायाची

आरती ज्ञानराजा । महाकैवल्यतेजा ।
सेविती साधुसंत । मनु वेधला माझा ।।

लोपलें ज्ञान जगीं । हित नेणती कोणी ।
अवतार पांडुरंग । नाम ठेविलें ज्ञानी ।।आरती ज्ञानराजा 0।।

कनकाचें ताट करीं । उभ्या गोपिका नारी ।
नारद तुंबरहो । सामगायन करी ।। आरती ज्ञानराजा 0।।

प्रगट गुहृ बोले । विश्व ब्रहचि केलें ।
राम जनार्दनी । पायीं मस्तक ठेविलें ।। आरती ज्ञानराजा 0।।





3. आरती तुकारामाची
आरती तुकारामाची

आरती तुकारामा । स्वामी सदगुरुधामा ।
सच्चिदानन्द मूर्ती । पाय दाखवीं आम्हां ।। आरती तुकारामा ।

राघवें सागरांत । जैसे पाषाण तारिले ।
तैसे हे तुकोबाचे । अभंग रक्षिले ।। आरती तुकारामा ।

तुकितां तुलनेसी । ब्रहृ तुकासी आलें ।
म्हणोनी रामेश्वरं । चरणीं मस्तक ठेविलें ।। आरती तुकारामा ।





4.जय जय साईनाथ आतां

जय जय साईनाथ आतां पहुडावें मंदिरीं हो ।। (x2)
आळवितों सप्रेमें तुजला आरति घेउनि करीं हो ।। जय 0 ।

रंजविसी तूं मधुर बोलुनी माय जशी निज मुला हो ।।(x2)
भोगिसि व्याधी तूंच हरुनियां निजसेवकदःखाला हो ।। (x2)
धांवुनि भक्तव्सन हरिसी दर्शन देसी त्याला हो ।।(x2)
झाले असतील कष्ट अतिशय तुमचे या देहाला हो ।। जय 0 ।

क्षमा शयन सुंदर ही शोभा सुमनशेज त्यावरी हो । (x2)
ध्यावी तोडी भक्त-जनांची पूजनादि चाकरी हो ।। (x2)
ओंवाळीतों पंच्राण, ज्योति सुमती करीं हो ।। (x2)
सेवा किंकर भक्त प्रीती अत्तर परिमळ वारी हो ।। जय 0 ।

सोडुनि जाया दुःख वाटतें साई त्वच्चर णांसी हो । (x2)
आज्ञेस्तव तव आशीप्रसाद घेउनि निजसदनासी हो ।।(x2)
जातों आतां येऊं पुनरपि त्वच्चरणाचे पाशीं हो । (x2)
उठवूं तुजला साइमाउले निजहित सादायासी हो ।। जय 0 ।


5.आतां स्वामी सुखें निद्रा
आतां स्वामी सुखें निद्रा करा अवधूता । बाबा करा साइनाथा ।।
चिन्मय हें सुखधामा जाउनि देवा पहुडा एकांता ।।

वैराग्याचा कुंचा घेउनि चौक झाडीला । बाबा चौक झाडीला ।।
तयावरी सुप्रेमाचा शिडकावा दिधला ।। आतां 0 ।।

पायघडया घातल्या सुंदर नवविधा भक्ती । बाबा नवविधा भक्ती ।।
ज्ञानाच्या समया लावुनि उजळल्या ज्योती ।। आतां 0 ।।

भावार्थाचा मंचक हृदयाकाशी टांगिला । बाबा काशीं टांगिला ।।
मनाचीं सुमनें करुनी केलें शेजेला ।। आतां 0 ।।

द्घैताचें पाट लावुनि एकत्र केलें । बाबा एकत्र केलें ।।
दुर्बुद्घीच्या गांठी सोडूनि पडदे सोडीले ।। आतां 0 ।।

आशा तृष्णा कल्पनेचा सांडुनि गलबला । बाबा सांडुनि गलबला ।।
दया क्षमा शांति दासी उभ्या सेवेला ।। आतां 0 ।।

अलक्ष्य उन्मनी घेउनी बाबा नाजुक दुःशाला । बाबा नाजुक दुःशाला ।।
निरंजन सदगुरु स्वामी निजवीले शेजेला ।। आतां 0 ।।

।। सच्चिदानद सद्गुरु साईंनाथ महाराज की जय ।।
।। श्री गुरुदेव दत्त ।।


6.पाहें प्रसादाची वाट
पाहें प्रसादाची वाट । घावें धुवोनियां ताट ।।

शेष घेउनी जाईन । तुमचें झालिया भोजन ।।

झालों आतां एकसवा । तुम्हा आळंवावो देवा ।।

तुका म्हणे आतां चित्त । करुनी राहिलों निश्चित ।।


7.पद, प्रसाद मिळाल्यावर

पावला प्रसाद आतां विठो निजावें । बाबा आता निजावे ।
आपला तो श्रम कळों येतसे भावें ॥
आतां स्वामी सुखें निद्रा करा गोपाळा । बाबा साई दयाला।
पुरलें मनोरथ जातों आपुल्या स्थळा ॥


तुम्हांसी जागवूं आम्हीं आपुलिया चाडा । बाबा आपुलिया चाडा ।
शुभाशुभ कर्मे दोष हरावया पीडा ॥ आतां स्वामी 0।।

तुका म्हणे दिधलें उच्छिष्टाचें भोजन । उच्छिष्टाचें भोजन ।
नाहीं निवडिलें आम्हां आपुलिया भिन्न ॥ आतां स्वामी 0।।


।। सतगुरु साईं नाथ महाराज की जय ।।




!...ललकारा...!

श्री सच्चिदानद सद्गुरु साईंनाथ महाराज की जय ॐ राजाधिराजा योगिराज परभामा साईंनाथ महाराजा श्री सच्चिदानद सद्गुरु साईंनाथ महाराज की जय




om saiyaa ji to all the devotees baba blessing u & ur family


🌞
Surye Dev ki Jai
Om Gan Ganpatye Namha
Om namha Shivay
SAI Maharaj ki JAI
Sare pitro ki Jai 
hey param mata pita aap dono her insaan k dukh taqlif pareshani darr ko her lijiye
hum sabko sukh khushi suraksha safalta aur Achcha swasthy dijiye
meri aapse ye he prathna hai aamen
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
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Sunday, 29 September 2013

alla malik



साँई के दर्शन करें
सीतानाथ दिखायें
इष्ट देव दर्शन तुम्हें
सब साँई को पायें

हमको तो साँई दिखें
तुमको दिखते राम
नहीं करो प्रतिवाद यह
मन शांति आराम

ॐ साँई राम जी
श्री साँई बाबा जी के चरण कमलों में हमारी अरदास है
कि बाबा जी अपनी कृपा दृष्टी आप सभी पर निरंतर बरसाते रहे


Thursday, 26 September 2013

happy baba's day

बेहतर है साई का हाथ पकड़ने के बजाय
अपना हाथ साई को पकड़ा दो
तुम हाथ पकड़ोगे तो हो सकता है किसी दबाब में छोड़ बैठोगे
साई पकड़ेंगे तो हाथ कभी नहीं छूटेगा
Om Sai Ram



Wednesday, 25 September 2013

baba's aarti

Om shree saiyaa ji to all the devotees baba blessing u & ur family

om shree saiyaa



गृह प्रवेश मैं कर सकूँ
बन्द द्वार भी होये
सर्वभूत में व्याप्त हूँ
भ्रमित नहीं तू होये

साँई में श्रध्दा लाये के
चिंतन करता होये
साँई सब कारज करें
मोक्ष प्रदाता होये

ॐ साँई राम जी
श्री साँई बाबा जी के चरण कमलों में हमारी अरदास है
कि बाबा जी अपनी कृपा दृष्टी आप सभी पर निरंतर बरसाते रहे
Om shree sai ram ji to all baba blessing u & ur family
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Tuesday, 24 September 2013

sehaj aarti




alla malik


सपने में साँई दिखे
चावल दे बिखरायें
मेघा से फिर यूँ कहे
मुझ्को त्रिशुल लगायें

मेघा चौंका नींद से
कोई नही दिखाये
यहाँ वहाँ बिखरे हुये
चावल ही वह पायें

फिर दौड़ा मस्जिद गया
सपना दिया बतायें
साँई से आज्ञा माँगे
देऊँ त्रिशुल लगायें

आज्ञा मैनें दी तुझे
बात सत्य ही होये
शब्द हमारे अर्थमय
थोथे कभी ना होये

मेघा फिर कहने लगा
दरवाजे थे बन्द

साँई कैसे आ गये
मेरे मन के द्वन्द 

साँई जी ने यह कहा
मैं हूँ ऐसा संत
मेरा ना कोई आदि है
और ना कोई अंत

ॐ साँई राम जी
श्री साँई बाबा जी के चरण कमलों में हमारी अरदास है
कि बाबा जी अपनी कृपा दृष्टी आप सभी पर निरंतर बरसाते रहे

Sunday, 22 September 2013

alla malik

Shirdi mera pandarpuar ,
shirdi tirth samaan ,
yahi viraje vithal mere ,
saware ghansham ,
yahi bahe ganga yamuna ,
sabhi tirth mahaan ,
parnam mera savikar kari sai nath bhagwan




Friday, 20 September 2013

om shree saiyaa

ॐ श्री साँईं शुभ प्रभात जी
Jo dete sabko pyar bhari muskan , uska naam h sai ram , bataate sabko khushiya apni jholi se aur le jate sabke dukh aur gum , na rehne dete koi kami na koi dete kuch kaam , aise mere baba ko koti koti naman ...om sai ram all of u ji 

Thursday, 19 September 2013

happy baba's day


om shree saiyaa

Friday, 13 September 2013

sai sandhiya on 12/09/2013 at SAI MANDIR SIRHIND

 OM SHREE SAIYAA

















Wednesday, 11 September 2013

saiyaa saiyaa

Khush rakhna mere "SAI" unko,
Tere farishte bhi de duaye unko,
De mere APNO ko "chaahat se itna zayada",
ki maange boond to mile dariyaa unko... || ॐ साईं नमो नमः || श्री साईं नमो नमः || जय जय साईं नमो नमः || सतगुरु साईं नमो नमः || || परम पिता साई परमात्मा || ||श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज कि जय||

Monday, 9 September 2013

sai charan

Saam Ho Gai SAI Bhakto Le Lo SAI Ka Naam,
Karle Bande Ye Subh Kaam.. Laaga Lo SAI Darbaar SIRHIND Me Haazri Bhakto, Baba Banayengye Sabke Bigdhe Kaam..
Om Sai Ram..

Sunday, 8 September 2013

plz. donation for mandir


 BaBa mandir under construction plz. Donation for baba's mandir

Friday, 6 September 2013

om shree nanak sai

श्री गुरु तेग बहादर जी – साखियाँ

श्री दसमेश जी का गर्भ प्रवेश

प्राग राज के निवास समय एक दिन माता नानकी जी ने स्वाभाविक श्री गुरु तेग
बहादर जी को कहा कि बेटा! आप जी के पिता ने एक बार मुझे वचन दिया था कि तेरे
घर तलवार का धनी बड़ा प्रतापी शूरवीर पोत्र इश्वर का अवतार होगा|मैं उनके
वचनों को याद करके प्रतीक्षा कर रही हूँ कि आपके पुत्र का मुँह मैं कब
देखूँगी| बेटा जी! मेरी यह मुराद पूरी करो,जिससे मुझे सुख कि प्राप्ति हो|

अपनी माता जी के यह मीठे वचन सुनकर गुरु जी ने वचन किया कि माता जी! आप जी का
मनोरथ पूरा करना अकाल पुरख के हाथ मैं है|हमें भरोसा है कि आप के घर तेज
प्रतापी ब्रह्मज्ञानी पोत्र देंगे|

गुरु जी के ऐसे आशावादी वचन सुनकर माता जी बहुत प्रसन्न हुए|माता जी के मनोरथ
को पूरा करने के लिए गुरु जी नित्य प्रति प्रातकाल त्रिवेणी स्नान करके
अंतर्ध्यान हो कर वृति जोड़ कर बैठ जाते व पुत्र प्राप्ति के लिए अकाल पुरुष
कि आराधना करते|

गुरु जी कि नित्य आराधना और याचना अकाल पुरख के दरबार में स्वीकार हो गई|उसुने
हेमकुंट के महा तपस्वी दुष्ट दमन को आप जी के घर माता गुजरी जी के गर्भ में
जन्म लेने कि आज्ञा की|जिसे स्वीकार करके श्री दमन (दसमेश) जी ने अपनी माता
गुजरी जी के गर्भ में आकर प्रवेश किया

श्री दसमेश जी अपनी जीवन कथा बचितर नाटक में लिखते है-

चौपाई

मुर पित पूरब कीयसि पयाना|| भांति भांति के तीरथि नाना||
जब ही जात त्रिबेणी भए ||पुन्न दान दिन करत बितए||१||
तही प्रकास हमारा भयो|| पटना सहर बिखे भव लयो||२||
(दशम ग्रन्थ :बिचित्र नाटक ,७वा अध्याय)

Thursday, 5 September 2013

aarti